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पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के करीबी सुनील तिवारी और सिपाही सचिन पाठक पर SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज

NAGADA : The Adiwasi Media

Ranchi : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के निजी सचिव सुनील तिवारी और सिपाही सचिन पाठक पर अरगोड़ा थाना में SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। अरगोड़ा थाना काण्ड संख्या-220/2021 में सुनील तिवारी पर गवाहों को धमकाने और शारीरिक, मानसिक, तथा आर्थिक शोषण के आरोप हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार, सुनील तिवारी ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए गवाहों को डराने और झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रची है।

सुनील तिवारी को पहले गिरफ्तार किया गया था और उन्हें झारखंड हाईकोर्ट से इस शर्त पर जमानत मिली थी कि वह गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और पुलिस का सहयोग करेंगे। हालांकि, आरोप है कि जमानत पर रिहा होने के बाद से सुनील तिवारी लगभग तीन सालों से पीड़िता के विरूद्ध साजिश रच रहे हैं।

शिकायतकर्ता ने SC-ST के विशेष लोक अभियोजक को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सुनील तिवारी अपनी राजनीतिक पहुंच का पावर दिखाकर पीड़िता को डरा-धमका रहे हैं। सुनील तिवारी पर आरोप है कि वह अपने प्रभाव और सहयोगियों के साथ मिलकर मामले की सुनवाई को निलंबित रख रहे हैं और पीड़िता को मुआवजा राशि से भी वंचित कर रहे हैं।

सिपाही सचिन पाठक पर भी आरोप है कि उन्होंने सुनील तिवारी की मदद से गवाहों को डराया और धमकाया है। सचिन पाठक का प्रशासनिक दृष्टिकोण से रांची जिला से धनबाद में पदस्थापन किया गया था, लेकिन बाद में उनका तबादला दोबारा से रांची हो गया। आरोप है कि सुनील तिवारी ने अपनी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके सचिन पाठक का तबादला वापस रांची कराया।

शिकायतकर्ता के मुताबिक, सुनील तिवारी ने रांची जिला पुलिस के सिपाही सचिन पाठक की मदद से गवाहों को डराने और धमकाने की कोशिश की है। सचिन पाठक पर आरोप है कि उन्होंने खूंटी के एक गवाह से भी केस को मैनेज करने के लिए संपर्क किया था।

इस मामले में सुनील तिवारी पर आरोप है कि वह अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके गवाहों को डरा-धमका रहे हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। पीड़िता ने विशेष न्यायाधीश को सूचित किया है कि सुनील तिवारी द्वारा किए गए शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण के बारे में जानकारी दी जाए। आरोप है कि सुनील तिवारी ने अपने प्रभाव का उपयोग करके मामले की सुनवाई को निलंबित रखा हुआ है और पीड़िता को मुआवजा राशि से भी वंचित कर रहे हैं।