Saturday, June 21आदिवासी आवाज़

बरहेट में किशोरी समृद्धि योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, महिला पर्यवेक्षिका ने पति-सास के खाते में भेजा लाभांश

NAGADA : The Adiwasi Media

Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट में सरकार की महत्वपूर्ण योजना सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। जांच में सामने आया कि महिला पर्यवेक्षिका मुनू पंडा ने लाभुकों के नाम पर भेजी जाने वाली राशि को अपने पति, सास और स्वयं के खातों में ट्रांसफर करवा लिया।

मामला सामने आने के बाद बरहेट प्रखंड के बीडीओ सह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ने स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई और राशि की वसूली सुनिश्चित की गई। यह मामला जब जिला उपायुक्त साहेबगंज के संज्ञान में आया तो उन्होंने दिसंबर 2024 में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए सरकार को पत्र लिखा।

कार्मिक विभाग ने तत्कालीन बीडीओ सोमनाथ बनर्जी से जवाब तलब किया और जांच के बाद उन्हें भविष्य में अधिक सतर्क रहने की चेतावनी दी है। वहीं महिला पर्यवेक्षिका मुनू पंडा पर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

जांच में पाया गया कि मुनू पंडा ने लाभुकों के खातों की सूची में खाता संख्या बदलकर अपने हस्ताक्षर से उसे प्रमाणित किया। इस प्रक्रिया में शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई, जिससे उन्हें यह राशि अपने और अपने परिजनों के खातों में स्थानांतरित करवाने में सफलता मिली।

सूत्रों के अनुसार मुनू पंडा ने 3,500 से अधिक आवेदन पत्रों का भौतिक सत्यापन कर उन पर हस्ताक्षर किया था। बीडीओ के रूप में कार्य कर रहे सोमनाथ बनर्जी ने बताया कि उन्होंने उस समय बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के रूप में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को अनुशंसा भेजी थी।

सोमनाथ बनर्जी ने कहा कि वे एक साथ चार पदों – बीडीओ, सीओ, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और बाल विकास परियोजना पदाधिकारी – का प्रभार संभाल रहे थे। इसके साथ-साथ वे विधि-व्यवस्था से जुड़े कार्यों में भी व्यस्त रहते थे। ऐसे में हजारों आवेदन की गहन जांच कर पाना संभव नहीं हो सका।

कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि भले ही अधिकारी व्यस्त रहे हों, लेकिन सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना उनकी ज़िम्मेदारी है। विभाग ने इस मामले में सतर्कता बरतने की आवश्यकता जताई है।

सरकार ने महिला पर्यवेक्षिका मुनू पंडा पर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है, जबकि बीडीओ को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। यह मामला बताता है कि राज्य की संवेदनशील योजनाओं में किस प्रकार की लापरवाही और मिलीभगत से गरीब लाभुकों का हक मारा जा रहा है।