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धनबाद निकाय चुनाव में हो रही देरी से नाराज धनबाद के पार्षदों का गुस्सा फुटा

NAGADA : The Adiwasi Media

धनबाद, 1 अगस्त 2024: गुरुवार की शाम को धनबाद में निकाय चुनाव में पांच वर्षों की देरी पर नाराज धनबाद के 55 वार्डों के पार्षदों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा व्यक्त किया। पूर्व मेयर चन्द्रशेखर अग्रवाल की अगुवाई में, पार्षदों और उनके समर्थकों ने बरटांड से रंधीर वर्मा चौक तक मशाल जुलूस निकाला और हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

मशाल जुलूस और नारेबाजी

सैकड़ों की संख्या में मशाल लेकर निकले पार्षदों और समर्थकों ने राज्य सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि निकाय चुनाव में हो रही देरी सरकार की विफलता और निजी स्वार्थ का परिणाम है। इस दौरान पूर्व मेयर चन्द्रशेखर अग्रवाल ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव न कराना जनता के अधिकारों का हनन है और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

पार्षदों की मांगें और आरोप

पार्षदों ने सरकार पर निकाय चुनाव नहीं करवाने के आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की इस देरी के कारण निगम क्षेत्र की जनता को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल चुनाव कराने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि जनता को उनके अधिकार मिल सकें और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।

जनता की समस्याओं पर जोर

मशाल जुलूस के दौरान पार्षदों ने जनता की समस्याओं को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि निगम क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े हैं और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पार्षदों ने सरकार से मांग की कि वह तुरंत चुनाव कराकर जनता की समस्याओं का समाधान करें।

भविष्य की योजनाएं :

पूर्व मेयर चन्द्रशेखर अग्रवाल ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही चुनाव कराने के लिए कदम नहीं उठाए तो पार्षद और उनके समर्थक आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और सरकार को उनके गुस्से का सामना करना पड़ेगा।

धनबाद में निकाय चुनाव में हो रही देरी से नाराज पार्षदों और जनता का गुस्सा एक बार फिर सड़कों पर देखने को मिला। मशाल जुलूस और नारेबाजी के माध्यम से पार्षदों ने सरकार पर चुनाव नहीं करवाने का आरोप लगाते हुए जनता की समस्याओं का समाधान करने की मांग की। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और जनता के गुस्से को कैसे शांत करती है।