Thursday, February 13आदिवासी आवाज़

तुपकाडीह के गांवों में चुनाव की खामोशी

NAGADA : The Adiwasi Media

बोकारो ः दो लोकसभा क्षेत्र- गिरिडीह और धनबाद के बीच में आने वाले एक छोटे से शहर तुपकाडीह के आस पास के गांवों और बाजार में आसन्न चुनाव की खामोशी छाई हुई है। नुक्कड़ों, चौपालों में भी चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं है। चास और जरीडीह प्रखंड के दो दर्जन बूथों पर आगामी 25 मई को हजारों वोटरों को वोट डालने की व्यवस्था ब्लॉक स्तर से की गई है। झामुमो, भाजपा, कांग्रेस, आजसू के साथ-साथ अन्य दलों के कार्यकर्ता तथा कथित नेता तो खुश हैं, पर वोटरों का मन टटोलने में असफल हो रहे हैं। ओबीसी, आदिवासी बहुल गांव के लोग अपने पूर्व सांसद से नाराज हैं। उत्तर विस्थापित क्षेत्र के शिकारीडीह, बोधनाडीह, भौंरुडीह, मानगो के आदिवासी समुदाय के वोटर जो धनबाद लोस क्षेत्र में आते हैं, नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि वे लोग बीएसएल में नियोजन के लिए संघर्ष करते रहे, लेकिन कोई साथ नहीं दिया। वोट लेकर सांसद बनने के बाद दुबारा उन्हें कभी देखा नहीं गया। कुछ इसी प्रकार गिरिडीह क्षेत्र के वोटर बताते हैं कि पांच साल में आये दुःख सुख के साथ-साथ महामारी कोरोना के वक्त सांसद ने आना तो दूर, गरीब ग्रामीणों की सुध नहीं ली।कच्ची सड़क को पक्का कर देने से क्या होगा। इसी प्रकार तुपकाडीह मेनरोड, स्टेशन रोड, नहर चौक और कलाली मोड़ के दुकानदार जो वोटर भी हैं, कुछ बोलने बताने के वजाय हाथ जोड़ देते हैं। अब तक चुनाव की चहल पहल बाजार में देखने को नहीं मिल रही है।