आकाशवाणी हजारीबाग से प्रसारित (25 अगस्त 1998)
‘परिवार नियोजन”
आवाज हमर तोहिन तक हई
एकरा तोहिन के पसारे होतो ।
खुसिक झोरी हइ परिवार नियोजन,
एकरा सभेक अपनावे होतो ||
तोइरकें अंधविसवासेंक बेड़ी
समाजेक, आगुं आवे होतो ।
राखल हो आँगुं तोहिन के खुसी
हर- हालें एकऍ अपनावे होतो ।।
मानलों कि दुनिआइ बनवल हे केकरे
मेंतुक सरग एकरा, निज करमें बनबे होतो
गीदर- बुतरू बने सुरुज आर चंदा,
त- परिवार नियोजन अपनावे होतो ।।
बढ़ल जितो छउवा-पुताक जनसंख्या,
मानलों सौ बेटाक बाप तोहें कहइभे।
मेंतुक डोड़ाइ – मोरतो जखन भूखें ई-महंगी,
तखन किं तोहें ओकरा बँचवे पारभे?
सच पूछा त मानो हामर बात
दुइए बुतरु बेस हो तोहर लेल।
देखे पारभे रइखा आपन घरें,
माइ, मांटी आर देसेक खेल ||
आवा मिलमिस संकल्प लों – हामिन
परिवार नियोजन अपनइबइ।
खुसहाल रहे चाइरो और –
अइसने माहोल बनइबई।
हामिन परिवार नियोजन अपनइबइ।
हामिन परिवार नियोजन अपनइबइ।।