चतरा (संजीत मिश्रा): झारखंड में वन विभाग की उदासीनता का खामियाजा वन्य जीवों को भुगतना पड़ रहा है। प्रतापपुर उत्तरी वन प्रमंडल के गोमे गांव में एक हिरण को आवारा कुत्तों के झुंड ने जख्मी कर दिया। वन विभाग की लापरवाही के कारण जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई और वन्य क्षेत्रों पर भू-माफियाओं का कब्जा बढ़ता जा रहा है, जिससे जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास सिमटते जा रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, जंगल से भटक कर गांव में पहुंचे इस हिरण पर कुत्तों ने हमला कर दिया। समय रहते ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से कुत्तों को खदेड़ कर हिरण की जान बचाई। वन समिति के अध्यक्ष मंजीत कुमार और अन्य ग्रामीणों ने कुत्तों को भगाकर हिरण को बचाया, लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गया है।
घटना की सूचना वन विभाग को दी गई, जिसके बाद वन क्षेत्र पदाधिकारी बीएन दास अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और हिरण को अपने कब्जे में लिया। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है; इससे पहले भी कुत्तों द्वारा एक अन्य हिरण पर हमला हो चुका है, जिसे भी ग्रामीणों ने बचाया था और वन विभाग को सौंप दिया था।
वन विभाग की लापरवाही और जंगलों की अवैध कटाई के चलते जंगली जानवरों का आवास लगातार सिमटता जा रहा है, जिससे वन्य जीव मजबूर होकर गांवों और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। इन घटनाओं के बाद भी वन विभाग की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं, जो विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
वन क्षेत्र पदाधिकारी बीएन दास पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं, जिनकी जांच जारी है। बावजूद इसके, उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। डीएफओ राहुल मीना ने भी इस मामले में जांच प्रक्रिया शुरू होने की बात कही है, लेकिन अब देखना होगा कि क्या वन विभाग इस बार कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर मामला लीपा पोती में दबा दिया जाएगा।
पत्रकारिता के माध्यम से जंगल बचाने की यह मुहिम जारी रहेगी, ताकि वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाया जा सके।