आदिवासी परंपरा और संस्कृति के प्रति अटूट आस्था का परिचायक है लुगुबुरु महोत्सव : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

NAGADA : The Adiwasi Media
अपनी पत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन संग पुनाय थान में लुगु बाबा की पारंपरिक विधि-विधान से की पूजा-अर्चना

– राज्यवासियों की सुख- समृद्धि, खुशहाली एवं शांति की कामना की

विजय कुमार झा
बोकारो: 
झारखंड की आदिवासी संस्कृति की हृदय स्थली – बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड स्थित ललपनिया में आयोजित तीन दिवसीय लुगूबुरु, घांटाबाड़ी, धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव- 2025 का बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय समापन हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन शामिल हुए। श्री सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ पुनाय थान में पारंपरिक विधि- विधान से लुगूबुरु बाबा की पूजा-अर्चना कर राज्य की सुख- समृद्धि, खुशहाली एवं शांति की कामना की। मुख्यमंत्री ने यहां भगवान बिरसा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि भी दी।

इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने लुगुबुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा – लुगुरुबुरु घंटाबाड़ी महोत्सव सिर्फ एक महोत्सव नहीं है बल्कि अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति हमारी अटूट आस्था श्रद्धा और भक्ति का परिचायक है। उन्होंने जोर दिया कि हमें अपनी परंपरा एवं संस्कृति को संरक्षित रखते हुए इसे और मजबूती प्रदान करना है ताकि आने वाली पीढ़ी इससे अवगत रहे और अपनी इन परंपराओं को और आगे ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। मुख्यमंत्री ने एक गूढ़ संदेश देते हुए कहा कि हम अपनी परंपरा और संस्कृति को जितनी अच्छी तरह समझेंगे, उतना ही बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।


श्रद्धालुओं का जताया आभार, दिशोम गुरु को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगु बुरु विशेष रूप से संताल समाज के लिए एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले इस राजकीय महोत्सव में झारखंड के अलावा देश के अन्य प्रदेशों तथा विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। वे यहां लूगू बाबा का दर्शन और पारंपरिक विधि- विधान से पूजा- अर्चना कर खुशहाली की कामना करते हैं। इस सदियों पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने तीन दिनों के इस राजकीय महोत्सव में आये सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया और लूगू बाबा के दरबार में आराधना की कि यह महोत्सव आगे और भी भव्यता और समृद्ध हो!
पूर्वजों की देन, हमारी पहचान
मुख्यमंत्री ने लुगूबुरु को संताल समुदाय का एक ऐसा गढ़ बताया, जहां हमारे पूर्वजों ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है, जिसका पालन हम हमेशा से करते आ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संताल समाज को बेहतर एवं व्यवस्थित बनाने में हम अपने पूर्वजों के योगदान को कभी भूल नहीं सकते हैं। उन्होंने दोहराया कि अबुआ समाज, संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज को समृद्ध तथा आगे बढ़ाने के लिए हमारी सरकार सदैव से गंभीर रही है।

विश्व मानचित्र पर अलग पहचान बना रहा यह तीर्थस्थल
लुगूबुरु, घांटाबाड़ी को असीम आस्था का केंद्र बताते हुए मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि देश-विदेश से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा और सहूलियत देने के लिए यहां की व्यवस्था को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह तीर्थ स्थल विश्व के मानचित्र में एक अलग पहचान बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है।

दिशोम गुरु का सपना होगा साकार, टेराकोटा शैली में लगेगी भव्य प्रतिमा

एक भावनात्मक और संकल्प भरे क्षण में मुख्यमंत्री ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को याद किया। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन शुरू से ही लुगूबुरु के प्रति उनकी असीम आस्था थी। उन्होंने आग्रह किया कि शिबू सोरेन जी के मार्गदर्शन को हम सभी मिलकर आगे बढ़ाएं, ताकि यह धरोहर हमारे भावी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का काम हमेशा करता रहे। सबसे बड़ी घोषणा के रूप में मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा लुगूबुरु में स्थापित की जाएगी। इस संकल्प को मजबूती देते हुए उन्होंने टेराकोटा शैली में निर्मित स्मृति शेष शिबू सोरेन जी की प्रतिमूर्ति आयोजन समिति को सौंपी।

पर्यावरण की रक्षा आज का सबसे बड़ा सामाजिक कानून
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण को बचाने की आज सबसे ज्यादा जरूरत बताते हुए आदिवासी समाज की प्रकृति-संरक्षण की परंपरा की सराहना की। उन्होंने चेतावनी दी कि विकास की होड़ में जल, जंगल और जमीन खत्म होते जा रहे हैं, जो प्रकृति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने आह्वान किया कि जिस तरह भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे पूर्वजों ने जल-जंगल और जमीन की खातिर संघर्ष करते रहे, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए सामाजिक कानून को बनाकर उसका पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।

आस्था और एकता का अद्भुत संगम
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं, लेकिन सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं और एक-दूसरे की परंपराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान तथा आदर करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म किसी एक व्यक्ति से नहीं बढ़ता है, धर्म से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को मिल-जुलकर बनाते हैं और उसका पालन करते हैं, जिससे हमें सामाजिक ताकत मिलती है। इस अवसर पर मंत्री चमरा लिंडा, योगेंद्र प्रसाद महतो, विधायक कल्पना सोरेन, उमाकांत रजक, उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, आयोजन समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन, सचिव लोबिन मुर्मू एवं हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।